
दिल की दीवारें
रेत की बनी है
सल्तनत इनकी रेत पर खडी है
गिराकर तो इनको कोई भी चल पडे
हल्का स झोंका भी मन्जर इनकी बर्बादी का पैदा कर बढे
पर...
रेत की इन दीवारो को करके खडा
घरोन्दा दिल मे बनाना है मुश्किल बडा
प्रेम के सलोने इत्र से महकता है ये
अपनेपन कि एक छुअन पर
बिफर जाता है ये
एक सन्ग पाने के लिये
बैर दुनिया से कर जाता है ये
एक वादा निभाने के लिये
कुर्बां खुद को कर जाता है ये
किसी के एक एह्सास के लिये
दुनिया का हर मन्जर अलग सा नजर आता है इसे
पर...
जब कोई परिस्थिति झोंका
इस रेत की दिवार को गिरा जाता है
तो बस एक बैरागी
उस रेत में अपनी विलिनता को तलशता है
ओर हर कोशिश मे जब उस रेत को अपनी मुट्ठी से फिसलता देखता है
तो हर तलाश के अन्त मे बस
अपनी ही आरजु की लाश से घिरकर
खुद को अपनी हर लाचारी पर रोता पाता है.
रेत की इन दीवारो को करके खडा
ReplyDeleteघरोन्दा दिल मे बनाना है मुश्किल बडा
बढिया है.
bahut khoob
ReplyDeletekeep writing