
समय का चक्र बडा ही अनोखा है
कभी खुशियों की बेला है
तो कभी गमों का लगा मेला है
इसको कभी किसी ने क्या रोका है
हर जीव इसकी धुरि पर घूमा है
जीवन चक्र इसी के संग तो घूमा है
जो घूम गया इसके संग वो
पार कर गया जीवन समुंद्र है
जो पिछड गया बीच राह मे
डूब गयी उसकी नय्या है
समय का ये चक्र बडा ही अनोखा है
जीवन का हर पहलू इसी का झरोखा है
हर रंग जीवन का इसी से जुडकर तो देखा है
तभी तो हे बन्धु...
समय का ये चक्र बडा ही अनोखा है
soch bahut achhee hai...presentation thodi behtar ho sakti thi,still a good effort
ReplyDeletewww.pyasasajal.blogspot.com
dhanyavaad mai prayasrat hoon shayad jald hi apekshao par khari utar jaun
ReplyDeleteकविता का भाव पक्ष सुदृढ़ है
ReplyDeleteपसंद आई