Tuesday, July 28, 2009

"बचपन"


मासूम सा बचपन
कितना सलोना होता है
कुछ भी ना जानते हुए भी
कितना अनोखा होता है
ढेरों सपने बुनता है
रंग बिरंगी रचनाये रचता है
ढेरो रंगो से भरा ये बचपन
दुनिया के भद्दे पहलू से
बिल्कुल अन्जान होता है
अपनी ही धुन मे मगन
बचपन कितना बेफिक्र होता है
पर...
इस बचपन से जुडा
परिस्थितियों का भी खेला होता है
इस रंगीन बचपन मे रंग भरने वाली कुन्जी
हालात की कठपुतली होती है
लेकर जीवन के भिन्न भिन्न रंग
जब ये कुन्जी घूमती है
तब अनुकूल परिस्थिति मे
संग मासुमियत के
खुशियों के रंग भर देती है
और किस्मत को ये कुन्जी
चमकीले रंगो से सजा देती है
पर वही जब ये कुन्जी
प्रतिकूल परिस्थिति मे आगे बढती है
तो संग मासुमियत के
लाचारी की रेखायें खीच देती है
और किस्मत को ये कुन्जी
मजबूरियों के गारा से पोत देती है
और इस तरह्...
रुप किस्मत्त का
बदकिस्मती मे तब्दील कर देती है!